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आज के दौर में वैसे तो लोग किसी चमत्कार पर विश्वास नहीं करते, आज के लोगों की मानसिकता समय के हिसाब से आधुनिक हो गई है लेकिन आज भी ऐसे कई किस्से और राज है जो सबके सामने आ जाएं तो लोग आश्चर्यचकित हो उठेंगे।भारत एक ऐसा देश हैं जहाँ हर गली। तिराहे पर आपको कोई न कोई किस्सा जरूर सुनने को मिलेगा। जो हमारे पूर्वजों ने देखा और महसूस किया।
भारत के रहस्यमयी धार्मिक स्थल
हमारा ये भारत देश वैसे ही किस्से कहानियो का देश है यहा की अनोखे कहानिया विश्व मे प्रचलित है लेकिन यहा कई ऐसे रहस्य भी दबे है जिसको सुन कर शायद आपको भरोसा ना हो । तो जानिए भारत के ऐसे ही कुछ रहस्यमयी धार्मिक स्थान की कहानिया।
न काटने वाले बिच्छू
उत्तर प्रदेश के अमरोहा में 13वीं सदी के सूफी संत सैयद हुसैन शर्फुद्दीन शाह विलायत नकवी की मज़ार मौजूद है। माना जाता है कि वो उत्तर भारत के पहले उर्दू कवि थे। उनकी मज़ार के पास कई जहरीले बिच्छू मौजूद रहते हैं लेकिन उन्होंने आजतक आने वाले किसी अनुयायी या भक्त को नुकसान नहीं पहुंचाया। श्रद्धालुओं को एक निश्चित समय के लिए उन बिच्छुओं को घर ले जाने की इजाज़त है लेकिन तय समय के बाद उन्हें वापस मज़ार पर नहीं छोड़ा जाता तो वो इंसानों पर हमला कर देते हैं।
हम्पी के संगीतमय खम्बे
हम्पी में भगवान विष्णु के अवतार विठ्ठल जी का विशाल मंदिर है। 56 खम्बों वाला ये मंदिर पुरातन काल की शिल्प-कला का एक जीता-जागता खूबसूरत नूमना है। इसकी खूबसूरती से अलग एक जादुई बात मंदिर को बेहद खास बनाती है। ऐसा कहा जाता है कि यहां मौजूद 56 खम्बों पर अगर हल्की चोट की जाए तो संगीत की सात ध्वनियां निकलती हैं। इसके चलते इन्हें सारेगामा पिलर्स भी कहा जाता है। गुलामी भारत में जब अंग्रेजों को ये बात पता चली तो इस रहस्य को जानने के लिए दो खम्बों को काटकर देखा लेकिन सिर्फ खोखले दिखाई दिए। आज भी इन दोनों कटे हुए खम्बों को देखा जा सकता है।
नंदी बैल का बढ़ता आकार
देशभर में भगवान शिव के कई करिश्माई मंदिर मौजूद हैं लेकिन आंध्र प्रदेश के कुरनूल में मौजूद यगंती मंदिर उनमें बेहद ख़ास है। ऐसी कहानी प्रचलित है कि वहां मौजूद पत्थर के नंदी बैल का आकार साल दर साल बढ़ता जा रहा है। इसके कारण मंदिर प्रशासन को वहां मौजूद एक खम्बे को भी हटाना पड़ा। वहां रहने वाले लोगों के मुताबिक पहले वो नंदी बैल की परिक्रमा करते थे लेकिन बढ़ते आकार के कारण अब वो संभव नहीं है।
करिश्माई पत्थर
पुणे में हज़रत कमर अली दरवेश की एक चर्चित दरगाह है। हजारों श्रद्धालु अपनी मन्नतों के साथ वहां सदके लिए वहां जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि वहां एक करिश्माई पत्थर है, जिसे एक बार में सिर्फ 11 लोग ही उठा सकते हैं। अगर 11 से ज़्यादा या कम लोग ऐसा करने की कोशिश करते हैं तो वो पत्थर नहीं उठता है। हैरान कर देने वाली बात है कि जब 11 लोग उसे उठाने की कोशिश करते हैं तो उसके वज़न का बिल्कुल एहसास नहीं होता है। ऐसा करते हुए श्रद्धालु एक स्वर में हज़रत कमर अली दरवेश को याद करते हैं। रोज़ाना सैकड़ों लोग इसे अजमाते हैं। इसके अलावा वहां एक ऐसी लैंप मौजूद है जो सालों से 24 घंटे जल रही है।
शिवभक्त कोबरा
तमिलनाडु के थेप्परुमनल्लुर स्थित शिव मंदिर में एक ऐसा करिश्मा देखने को मिला जिसने सभी को चौंका दिया। साल 2010 में रोज़ाना की आरती के दौरान मंदिर में मौजूद पुजारी ने देखा कि एक कोबरा अपने मुंह से पेड़ से पत्ती तोड़कर शिवलिंग पर चढ़ा रहा है। ऐसा उसने एक नहीं दो-तीन बार किया। इसके बाद ये किस्सा आम लोगों के बीच बेहद चर्चित हुआ।
मंदिर का सातवां दरवाज़ा
तमिलनाडु में मौजूद प्राचीन मंदिर अनंतपद्मनाभ स्वामी को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं। वहां एक रहस्यमयी बड़ा दरवाज़ा मौजूद है और ऐसी मान्यता है कि सिद्ध साधु ही गरुड़ मंत्र के ज़रिए इसे खोल सकता है। खैर इस दरवाज़े के पीछे का सच क्या है ये किसी को नहीं मालूम है। कुछ लोगों के मुताबिक दरवाज़े के पीछे से अरब सागर की आवाज़ सुनाई देती है जबकि कई लोगों का मानना है कि वो आवाज़ वहां मौजूद सांपों की है।